Charminar History

चारमीनार का इतिहास | Charminar History

चारमीनार, भारत की प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक इमारतों में से एक है, जो कि भारत का प्रमुख आर्कषण भी है और हैदराबाद में पर्यटन की लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। चारमीनार से ही हैदराबाद की अपनी एक अलग पहचान है।
आपको बता दें कि हैदराबाद में मुसी नदी के किनारे स्थित इस भव्य चारमीनार को भारत की 10 प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों का दर्जा दिया गया है। चार मीनार एक बेहद प्राचीन और उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का नायाब नमूना है। आइए जानते हैं, भारत की इस प्रमुख ऐतिहासिक विरासत चार मीनार के बारे में –

चारमीनार का इतिहास – Charminar History In Hindi

कहां स्थित है (Charminar Kaha Sthit Hai)हैदराबादतेलंगाना
कब हुई स्थापना1591 ईसवी
किसने करवाया निर्माण (Charminar Kisne Banwaya)मुहम्मद कुली कुतुबशाह
चार मीनार की ऊंचाई कितनी है (Charminar Height)48.7 मीटर (159.77 फीट ऊंची)

चारमीनार का निर्माण कब और किसने करवाया – Charminar Information

हैदराबाद में स्थित इस विशाल और प्रभावशाली ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण 1591 ईसवी में कुतुब शाही राजवंश के पांचवे शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्धारा करवाया गया था। मुहम्मद कुली कुतुब शाह इब्राहिम कुली कुतुब शाह के तीसरे पुत्र थे, उन्होंने गोलकोंडा पर करीब 31सालों तक राज किया था।
आपको बता दें कि जब कुतुब शाह ने अपनी राजधानी को गोलकुंडा से हैदराबाद शिफ्ट कर दिया था, जब इस भव्य इमारत और प्राचीन काल की सबसे उत्कृष्ट कृति का निर्माण किया गया था। ऐसा भी कहा जाता है कि कुतुब शाह द्धारा इसका निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि गोलकोंडा और पोर्ट शहर मछलीपट्टनम के व्यापार मार्ग को एक साथ जोड़ा जा सके। चारमीनार के निर्माण के पीछे कई ऐतिहासिक कथाएं भी जुड़ी हुईं हैं।

चारमीनार का अर्थ – Meaning Of Charminar

हैदराबाद में स्थित यह ऐतिहासिक स्मारक चारमीनार दो शब्दों से मिलकर बना है, जो कि ”चार” और ” मीनार” दो शब्दों से मिलकर बनी हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ”चार खंभे”। वहीं उर्दू में चार का अर्थ – संख्या से है जबकि मीनार का अर्थ टॉवर से है। वहीं जनरल तौर पर चारमीनार का अर्थ चार मीनारों या फिर टॉवर से लिया गया है।
इस प्राचीन टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें भी हैं, जो कि चार मेहराबों से जुड़ी हुई हैं, और यह मेहराब मीनार को सहारा भी देता है। इस भव्य इमारत का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है।
इसके साथ ही भारतीय-इस्लामी वास्तुकला की सर्वश्रेष्ठ नमूना माने जानी वाली यह चारमीनार कुतुबशाह और भागमती के अटूट प्रेम का भी प्रतीत मानी जाती है।

चार मीनार का इतिहास और इसका निर्माण क्यों करवाया गया – History of Charminar

इस भव्य और ऐतिहासिक चारमीनार की वजह से हैदराबाद शहर को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। चारमीनार का निर्माण 1591 ईसवी में कुतुब शाही वंश के पांचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था, आपको बता दें कि जब उन्होंने अपनी राजधानी गोलकुंडा को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया था, तब कुली कुतुबशाह ने भारत की इस शानदार कृति का निर्माण करवाया था।
इस अनूठी ऐतिहासिक विरासत के निर्माण को लेकर कई इतिहासकारों द्धारा यह भी तर्क दिया जाता है कि, मोहम्मद कुली कुतुब शाह की राजधानी गोलकुंडा में पानी की कमी की वजह से जब प्लेग / हैजा रोग बुरी तरह फैल गया था, तब उन्होंने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने और लोगों की पीड़ा को कम करने को लेकर रब से इबादत की थी और एक मस्जिद बनाने का संकल्प लिया था।
वहीं जब उनके शहर में प्लेग/हैजा जैसी बीमारी पर पूरी तरह काबू पा लिया गया था तब मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने इसकी खुशी में इस अनूठी और ऐतिहासिक स्मारक चारमीनार का निर्माण हैदराबाद में करवाया था। आपको बता दें कि चारमीनार का निर्माण एक मस्जिद और मदरसा के रुप में सेवा करने के मकसद से  किया गया था।
इसके अलावा कुछ इतिहासकारों की माने तो हैदराबाद में स्थित इस भव्य और ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि गोलकुंडा के बाजारों को और मछलीपट्टनम के बंदरगाह शहर के व्यापारिक मार्गों को आसानी से एक साथ जोड़ा जा सके।
चारमीनार के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी यह भी जुड़ी हुई है कि, कुतुब शाही राजवंश के पांचवे शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने अपनी खूबसूरत पत्नी भागमती को इस जगह पर ही पहली बार देखा था, और रानी के द्धारा इस्लाम धर्म अपनाने के बाद उन्होंने इस शहर का नाम हैदराबाद रख दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने अपने अटूट और शाश्वत प्रेम के प्रतीक के रुप में और इस इस विशाल और प्रभावशाली ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण किया था।

चार मीनार की सुंदर बनावट और शानदार संरचना एवं वास्तुकला – Charminar Architecture

हैदराबाद में ऐतिहासिक व्यापार मार्ग के चौराहे पर स्थित भारत की इस भव्य और विशाल मीनार का निर्माण ग्रेनाइट, संगमरमर और मोर्टार के चूना पत्थरों को मिलाकर किया गया है, जिसमें भारत-इस्लामी काजिया शैली की अनूठी वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है।
वर्गाकार आकार में बनी यह ऐतिहासिक और भव्य मीनार के हर कोने में महराबनुमा शाही दरवाजे बने हुए हैं। यह शानदार स्मारक चौकोर खम्‍भों से बना हुआ है, चार मीनार के भव्य मेहराब चार अलग-अलग सड़कों पर खुलते हैं, जिसकी चौड़ाई करीब 11 मीटर है और उंचाई करीब 20 मीटर हैं। इसके साथ ही इस विशाल मीनार की हर मेहराबों में दीवार घड़ी लगी हुई हैं जिन्हें यहाँ साल 1889 में लगाया गया था।
इस अनूठी ऐतिहासिक स्मारक के प्रत्येक मेहराब और आर्कषक गुंबद इस्लामी वास्तुकला के प्रभाव को परिभाषित करते हैं। करीब 48 मीटर ऊंची इस भव्य स्मारक  में दो बालकनियां भी बनी हुई है, जिससे आसपास शहर का बेहद सुंदर और आर्कषण दृश्य दिखाई देता है, और इसके शीर्ष पर बने छोटे-छोटे गुंबद इसकी शोभा को दो गुना बढ़ा देते हैं। इस भव्य मीनार के अंदर 149 बेहद घुमावदार सीढि़यां बनी हुई हैं।
विश्व धरोहर की लिस्ट में इस ऐतिहासिक स्मारक की मुख्य गैलरी में करीब 45 प्रार्थना स्थल है। यहां नमाज अदा करने के लिए काफी खुला स्थान है, जहां अधिकतर शुक्रवार के दिन इस्लाम समुदाय के लोग आकर अल्लाह की इबादत करते हैं। यहां एक छोटा फव्वारा भी है, जो इस मीनार के आर्कषण को और अधिक बढ़ाता है। 
इसके साथ ही इस ऐतिहासिक इमारत के ऊपरी हिस्से में पश्चिम की तरफ, इस्लाम के पवित्र तीर्थ स्थल की तरफ मुंह किए हुए एक मस्जिद भी बनी हुई है, जिसका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है। वहीं पहले चार मीनार के  बाकी के हिस्से में कुतुब शाही दरबार भी हुआ करता था। यह अपनी अनूठी वास्तुशिल्प और शाही बनावट के लिए पूरी दुनिया भर में जाना जाता है।
इस चौकोर संरचना के हर कोने पर एक छोटी-छोटी मीनार बनी हुई है जिसकी ऊंचाई करीब 24 मी. की है, इस तरह यह पूरा भवन करीब 54 मीटर ऊंचा बन जाता है। वहीं इस भव्य इमारत में चार मीनारें बनी होने की वजह से इसे चार मीनार नाम दिया गया है। कमल की पत्तियों के आधार की संरचना पर खड़ी हर मीनार बेहद आर्कषक लगती है। इस चारमीनार की दीवारों पर बेहद आर्कषक और सुंदर नक्काशी की गई है।
इंडो-इस्लामिक वास्तुशैली से निर्मित इस भव्य मीनार के निर्माण के लिए एक पर्शियन वास्तुकार को बुलाया गया था। चार मीनार की घुमावदार सीढि़यां हैदराबाद में स्थित इस भव्य और ऐतिहासिक इमारत में कुल 149 घुमावदार सीढ़िया बनी हुई हैं, वहीं मीनार के शीर्ष तक पर्यटक इन घुमावदार सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचते हैं, और ऊपर से हैदराबाद शहर के शानदार दृष्य का आनंद लेते हैं।
इस्लामिक वास्तुशैली से बनी इस उत्कृष्ट मीनार की दीवारों पर बेहद शानदार और आर्कषक नक्काशी की गई है। चार मीनार के अंदर बनी एक गुप्त सुरंग इंडो-इस्लामिक वास्तुशैली से बनी यह भव्य चार मीनार एक अनूठी ऐतिहासिक कृति है, जिससे कई कहानियां और रहस्य जुड़े हुए हैं। यह इमारत न सिर्फ ऐतिहासक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक लिहाज से भी इसका काफी महत्व है।
इस बेहद खूबसूरत चारमीनार के नीचे मोहम्मद कुल कुतुब शाह के शासनकाल के समय एक गुप्त सुरंग बनाई गई थी, जो कि हैदराबाद के इस प्रसिद्ध मीनार को गोलकुंडा किले से जोड़ती है। आपको बता दें इस गुप्त सुरंग बनाने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इस ऐतिहासिक सुरंग को शाही सम्राटों के आपातकालीन निकासी के लिए बनाया गया था, लेकिन इसकी जानकारी बेहद खास लोगों को ही थी,कि इस सुरंग के मुख किस कोने पर खुला हुआ है।

चार मीनार के अंदर बनी भव्य मक्का मस्जिद – Mecca Masjid or Makkah Masjid Charminar

करीब 48 मीटर ऊंची इस शानदार ऐतिहासिक स्मारक के अंदर एक भव्य मस्जिद बनी हुई है, जो कि मक्का मस्जिद के नाम से जानी जाती है। इतिहासकारों के मुताबिक जब मोहम्मद कुली कुतुब शाह की राजधानी गोलकुंडा हैजा मुक्त हो  गया था, तब उसने चारमीनार का निर्माण एक मस्जिद के रुप में किया था, जहां लोग आकर सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करते थे और सुख, चैन और अमन की दुआ मांगते थे।
इस चार मंजिला ऐतिहासिक स्मारक के सबसे ऊपरी हिस्से में पश्चिम की तरफ यह मस्जिद बनी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है, कि इस मस्जिद के निर्माण के लिए कुतुब शाही राजवंश के पांचवे सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने पत्थर, इस्लाम समुदाय के पवित्र तीर्थस्थल मक्का से मंगवाए थे।
वहीं इन्हीं पत्थरों से इस स्मारक की मुख्य मस्जिद के केन्द्रीय चाप का भी निर्माण किया गया था, जिसे बाद में मक्का मस्जिद के नाम से पहचाना जाने लगा था। यह मस्जिद हैदराबाद की सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है, जहां आज भी शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिमों की भारी भीड़ इकट्ठी होती है। वहीं इस वर्गाकार आकार की बनी संरचना के सौंदर्य की वजह से इसे देखने दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक आते हैं।

चार मीनार की विशेषता – Salient Features Of Charminar

इंडो-मुस्लिम वास्तुशैली में बनी इस ऐतिहासिक स्मारक की वजह से ही हैदराबाद को पहचान मिली है। इस शाही संरचना को कुतुब शाह के शासनकाल के समय मदरसे और मस्जिद के रुप में बनाया गया था। चार मीनार की छत से पूरे हैदराबाद शहर का बेहद सुंदर एवं मनोरम दृश्य दिखाई देता है। इस भव्य इमारत के अंदर हर वक्र पर एक घड़ी लगी हुई है, जिसका निर्माण 1889 में किया गया था, जो कि अन्य इमारतों से इसे अलग बनाती हैं।
मोहम्मद कुली कुतुब शाह के द्धारा बनवाई गई इस भव्य इमारत की चारों मीनारों को एक बेहद विशिष्ट रिंग से चिंन्हित किया गया है, जिसे पर्यटक बाहर से देख सकते हैं। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इस ऐतिहासिक विरासत की चार मीनारें, इस्लाम के पहले चार खलीफों का प्रतीक थीं।
अपनी अनूठी वास्तुशैली और अद्धितीय बनावट की वजह से यह पूरे विश्व भर में जानी जाती है। इस भव्य इमारत को देखने काफी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।

चार मीनार में बना भाग्यलक्ष्मी जी का मंदिर – Bhagyalakshmi Temple Charminar

चार मीनार, भले ही प्रमुख इस्लामिक स्थलों में गिना जाता है, लेकिन भारत की इस ऐतिहासिक धरोहर के सबसे नीचे तल पर एक छोटा सा भाग्यलक्ष्मी जी का मंदिर भी बना हुआ है,जो कि काफी विवादों से भी जुड़ा रह चुका है।
इस मंदिर के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत रहे हैं, कुछ की माने तो इस मंदिर का निर्माण चारमीनार के निर्माण के समय नहीं किया गया है, जबकि कुछ इतिहासकारों ने यह भी स्पष्ट किया है कि साल 1957 से 1962 में चारमीनार में ली गई तस्वीरों में ऐसा कोई भी मंदिर मौजूद नहीं था, हालांकि इस मीनार के अंदर बने मंदिर के दर्शन के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं, इसकी अपनी अलग धार्मिक मान्यता हैं।

चार मीनार में चूड़ी और मोती का शानदार मार्केट – Charminar Market

हैदराबाद में स्थित इस ऐतिहासिक और भव्य स्मारक चार मीनार के आसपास अलग-अलग बाजार स्थित  हैं। इसके पास स्थित लाड बाजार लाख की सुंदर चूड़ियां, कलामकारी चित्रों, हैदराबादी कांजीवरम साडि़यों, शानदार दुपट्टे, आर्कषक गहनों, बिद्री वर्क, गोलकोंडा पेंटिंग, और गोंगुरा अचार के लिए मशहूर हैं।
जबकि इस अनूठी मीनार के पास स्थित पथेर गट्टी बाजार खास तरह के मोतियों के लिए मशहूर है, यहां देश से ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग मोती खरीदने के लिए पहुंचते हैं। चार मीनार के चारों तरफ विशाल मार्केट है, जहां करीब 14 हजार से भी ज्यादा दुकानें सजी हुई हैं। 
आपको बता दें कि यह ऐतिहासिक स्मारक  खाद्य पदार्थों के लिए भी प्रसिद्ध है, यहां पर्यटक हैदराबादी व्यंजन जैसे, हैदराबादी बिरयानी, हलीम, मिर्ची का सालन आदि का लजीज स्वाद चख सकते हैं  इसके अलावा यहां मशहूर ईरानी चाय भी काफी मशहूर है।  
चार मीनार को बाजार में शॉपिंग करने के साथ-साथ लजीज पकवानों के स्वाद के लिए भी जाना जाता है। चार मीनार के मार्केट की रौनक देखते ही बनती है, वहीं ईद, दीपावली और अन्य मौकों पर इसकी शोभा और अधिक बढ़ जाती है। यह मार्केट पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है।
हालांकि, इस मार्केट में मोतियों की शॉपिंग करते समय खरीददारों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यहां कई दुकानें ऐसी भी हैं जहां नकली मोती का सामान बिकता है, इसलिए सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त दुकान से ही मोती खरीदें ताकि ठगी से बचा जा सकें एवं उचित गुणवत्ता वाले मोतियों की खरीददारी की जा सके।
इसके अलावा चार मीनार में लगने वाला रविवार बाजार भी काफी मशहूर है। यहां पर्यटक अपनी किचन के सामान के साथ घरेलू साज-सजावट का सामान खरीद सकते हैं। वहीं पुराने सिक्कों के अच्छे कलेक्शन के लिए चार मीनार का संडे मार्केट भी मशहूर है।

चार मीनार के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Charminar Facts

  • कुतुब शाही सम्राज्य के पांचवे शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्धारा बनवाई गई यह ऐतिहासिक चार मीनार के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मस्जिद और मदरसा के रुप में सेवा करना था।
  • इस ऐतिहासिक मीनार का निर्माण इंडो- इस्लामिक वास्तुशैली का इस्तेमाल कर किया गया था, लेकिन इसमें फारसी वास्तुशिल्प तत्वों को भी शामिल किया गया है।
  • इस ऐतिहासिक मीनार में पत्थरों की छज्जे के साथ एक छत और दो बरामदें भी हैं, जो छत की तरह दिखाई देते हैं। इस मीनार में चार चमक-दमक वाली मीनारें बनी हुई हैं, जो कि चार अलग-अलग मेहराब से जुड़ी हुई हैं।
  • कुतुब शाही वास्तुकला के कुछ अनूठे नमूनों को प्रदर्शित करता है, जिनमें से मक्का मस्जिद, तौली मस्जिद, चार मीनार, जामी मस्जिद, बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्ह शामिल हैं।
  • भारत की इस मशहूर इमारत की चार मीनारें, इस्लाम के पहले चार खलीफों का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • विश्क की यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक, चारमीनार पुराने हैदराबाद शहर में स्थित है, ये कुतुब शाही युग का हॉल मार्क भी है।
  • इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण के हर चाप का निर्माण 1889 ईसवी में हुआ था।
  • इस ऐतिहासिक मीनार और गोलकुंडा के बीच एक गुप्त सुरंग भी बनी हुई है, जिसका मुख किस तरफ है इसकी जानकारी बेहद कम लोगों को ही थी।
  • यह विशाल और ऐतिहासिक इमारत की वजह से ही हैदराबाद के शहर को अपनी एक अलग पहचान मिली है।
  • हैदराबाद में स्थित इस आर्कषक चारमीनार को हर शाम तरह-तरह की कलरफुल लाइटों से सजाया जाता है, जिससे यह देखने में काफी सुंदर लगता है।
  • इस भव्य और ऐतिहासिक इमारत को आर्कषक डिजाइन देने के लिए पर्शियन आर्किटेक्ट को बुलाया गया था।
  • चारमीनार को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। साल 2010 में यूनेस्कों द्धारा इसे वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल किया गया है।
  • चार मीनार की हर मीनार को एक अलग तरह की रिंग से मार्क किया गया है, जिसे बाहर से आसानी से देखा जा सकता है।
  • इस ऐतिहासिक स्मारक चारमीनार के नाम से एक एक्सप्रेस ट्रेन भी है, जो कि हैदराबाद और चेन्नई के बीच में चलती है।

ऐसे पहुंचे चारमीनार – How To Reach Charminar

हैदराबाद में स्थित भारत की इस ऐतिहासिक और शानदार इमारत चार मीनार को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। हैदराबाद, सड़क, वायु एवं रेल तीनों परिवहन से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। आपको बता दें कि हैदराबाद रेलवे स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर  स्थित है, जबकि  बस स्टेशन से इसकी दूरी करीब 5 कि.मी. है।
वहीं अगर जो सैलानी हवाई मार्ग से यहां पहुंचते हैं, उन्हें इस भव्य इमारत को देखने के लिए करीब 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

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