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कबीर दास के गुरु कौन थे उनका का नाम क्या था।


भारत को विश्व का आध्यात्मिक गुरु माना जाता है । अध्यात्म के इस गढ़ में अगर कभी  सुधार वाद के सबसे बड़े नायकों का जिक्र किया जाएगा तो कबीरदास उनमें से एक होंगे । जहां तक कबीर दास के गुरु की बात है इतिहासकारों के अनुसार कबीरदास के गुरु अथवा teacher का नाम रामानंद था ।

ऐसा माना जाता है कि कबीरदास ने गुरु रामानंद के घर में रहकर ही सारी शिक्षा प्राप्त की थी । कबीरदास के गुरु से वापस उन्हीं की ओर चलते हैं । कबीरदास का जन्म 1440 एवं मृत्यु 1518 ईस्वी में हुई । कबीर दास की शिक्षाओं को मानने वाले पंथ  या समुदाय को कबीर पंथ के नाम से जाना जाता है । हमने कबीर दास के जीवन परिचय के विषय में अलग से Article लिखा है आप से उम्मीद की जाती है कि आप उसे जरूर पढेंगे आपको उस Article में कबीरदास से संबंधित हर तथ्य मिल जाएंगे ।


अब जब आपको इस सवाल का जवाब मिल गया कि कबीरदास के गुरु कौन थे ? तो हम कबीर दास के जीवन की एक घटना से आपका परिचय कराते हैं जिससे आपको पता चलेगा कि कबीर दास अपने युग से कितने आगे थे

कबीरदास और  मगहर

कबीर दास अपने अनुयायियों को हमेशा शिक्षा देते थे कि उन्हें अंधविश्वास पर भरोसा ना कर अपनी खुद की सोच जागृत करनी चाहिए । कबीरदास पूरे जीवन भर ऐसा करते रहे और अपनी मृत्यु के साथ ही उन्होंने ऐसा ही किया । उत्तर प्रदेश में एक जगह है  जिसका नाम है मगहर , इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां मरने वाला कभी स्वर्ग नहीं जाता लोगों के इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए कबीर दास को जब लगा कि उनकी मृत्यु नजदीक है तो वह मगहर चले गए और वहां अपनी अंतिम सांसे  ली । 
बड़ा से बड़ा धार्मिक व्यक्ति भी यह नहीं कह सकता कि कबीर दास जैसा महान व्यक्तित्व स्वर्ग नहीं गया होगा, अर्थात जाते-जाते भी कबीरदास लोगों के दिमाग से एक अंधविश्वास दूर कर गए ।
हम सभी जानते हैं कि कबीरदास महान थे परंतु उनके नाम कबीर का अर्थ भी महान होता है , और ऊपर दिये गये उदाहरण से आपको इस बात का अंदाजा मिलता है कि कबीर दास कितने महान थे।