OM JAI JAGDISH HARE AARTI
ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का.स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी,स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी,स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे,स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
AARTI SHRI GANGA JI KI
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता । जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता । चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पड़े जो तेरी , सो नर तर जाता ॥ ॐ जय गंगे माता ।
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता । कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
ॐ जय गंगे माता । एक ही बार जो तेरी, शरण गति आता । यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता
॥ ॐ जय गंगे माता । आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता । दास वही सहज में, मुक्ति को पाता
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
AARTI SHRI LAKSHMI MATA
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ टेक ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही हो जग-माता ।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय… ॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्घि-सिद्घि धन पाता ॥ ॐ जय… ॥
तुम ही पाताल बसंती, तुम ही शुभदाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय… ॥
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय… ॥
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय… ॥
शुभ-गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय… ॥
श्री महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय… ॥
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
AARTI SHRI GAYATRI JI KI
आरती श्री गायत्री जी की, ज्ञान दीप और श्रद्धा की बाती सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की |
आरती श्री गायत्री जी की | मानस की शुची थाल के ऊपर देवी की ज्योति जगै,
जहं निकी| आरती श्री गायत्री जी की | शुद्ध मनोरथ के जहां घंण्टा, बाजै करै पूरी आसहु ही की
| आरती श्री गायत्री जी की | जाके समक्ष हमें तिहु लोक कै गद्धी मिलै तबहूं लगे फीकी| आरती श्री गायत्री जी की
| संकट आवै न पास कबौ तिन्हे सम्पदा औ सुख की बनै लिकी| आरती श्री गायत्री जी की |
आरती प्रेम सो नेम सों करि ध्यावहिं मूर्ति ब्रम्हा लली की | आरती श्री गायत्री जी की |
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
SHRI SARASWATI MATA AARTI
कज्जल पुरित लोचन भारे स्तन युग शोभित मुक्त हारे,
वीणा पुस्तक रंजित हस्ते भगवती भारती देवी नमस्ते ॥
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता,
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥
जय सरस्वती माता ॥
चंद्रवदनि पदमासिनी घुति मंगलकारी,
सोहें शुभ हंस सवारी अतुल तेजधारी ॥
जय सरस्वती माता ॥
बायेँ कर में वीणा दायें कर में माला,
शीश मुकुट मणी सोहें गल मोतियन माला ॥
जय सरस्वती माता ॥
देवी शरण जो आयें उनका उद्धार किया,
पैठी मंथरा दासी रावण संहार किया ॥
जय सरस्वती माता ॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनी ज्ञान प्रकाश भरो,
मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो ॥
जय सरस्वती माता ॥
धुप दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो,
ज्ञानचक्षु दे माता भव से उद्धार करो ॥
जय सरस्वती माता ॥
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें,
हितकारी सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥
जय सरस्वती माता ॥
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता,
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता ॥
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
SHRI KRISHNA AARTI
आरती
युगल किशोर की कीजै। राधे तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
रवि
शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरख मेरो मन लोभा॥
गौर
श्याम मुख निरखत रीझै। प्रभु को रुप नयन भर पीजै॥
कंचन
थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
फूलन
की सेज फूलन की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
मोर
मुकुट कर मुरली सोहे। नटवर वेष देख मन मोहे॥
ओढ़े
पीत नील पट सारी। कुंज बिहारी गिरिवर धारी॥
श्री
पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरति करत सकल ब्रज नारी॥
नंदनंदन
वृषभानु किशोरी। परमानन्द स्वामि अविचल जोरी॥
-----------------------------------------------------------------------------
SANTHOSHI MAA
AARTI
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । अपने सेवक जन को, सुख संपति
दाता ॥ जय संतोषी माता । सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो । हीरा पन्ना दमके, तन
श्रृंगार लीन्हो ॥ जय संतोषी माता । गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे । मंद हँसत
करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय संतोषी माता । स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे
प्यारे । धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ॥ जय संतोषी माता । गुड़ अरु चना
परमप्रिय, तामे संतोष कियो। संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥ जय संतोषी माता ।
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही । भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ॥ जय संतोषी
माता । मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई । विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ॥ जय
संतोषी माता । भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै । जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै ॥
जय संतोषी माता । दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए । बहु धन-धान्य भरे घर, सुख
सौभाग्य दिए ॥ जय संतोषी माता । ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो । पूजा
कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ॥ जय संतोषी माता । शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥ जय संतोषी माता । संतोषी मां की आरती, जो कोई नर
गावे । ॠद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी
माता । अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय संतोषी माता ।
---------------------------------------------------------------------------------
SAI BABA AARTI
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा । चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ
बाबा ॥ विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो । तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो ॥
हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥ ब्रह्म के सगुण
अवतार तुम स्वामी । ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी ॥ सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा
। आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥ आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति । सिंधु
करुणा के हो उद्धारक मूर्ति ॥ शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा । आरती उतारे हम
तुम्हारी साईँ बाबा ॥ भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम । प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह,
मरम दिये तुम ॥ दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ
बाबा ॥
--------------------------------------------------------------------------------
SHRI HANUMAN
AARTI
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से
गिरिवर काँपै। रोग-दोष जाके निकट न झाँपै ॥ अंजनी पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु
सदा सहाई ॥ दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए ॥ लंका सो कोट समुद्र सी
खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥ लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े धरणी में । आनि सजीवन प्रान उबारे ॥ पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावन की भुजा उखारे ॥ बाएं भुजा असुर दल मारे। दहिने भुजा संतजन तारे ॥ सुर नर
मुनि आरती उतारें। जै जै जै हनुमान उचारें ॥ कंचन थार कपूर लौ छाई। आरति करत अंजना
माई ॥ जो हनुमानजी की आरति गावै। बसि बैकुण्ठ परम पद पावै ॥ लंक विध्वंस किए
रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन
रघुनाथ कला की
---------------------------------------------------------------------------------
SHRI SHANIDEV
AARTI
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी
।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की अस्वारी ।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । क्रीट मुकुट
शीश रजित दिपत है लिलारी । मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ।। जय जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी । मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी । लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति
प्यारी ।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
-------------------------------------------------------------------------------
SHRI GANESH
AARTI
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥ एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी । माथे पे सिंदूर
सोहे, मूसे की सवारी ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥ अंधन को आंख देत, कोढ़िन
को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा । लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥ जय गणेश, जय
गणेश, जय गणेश देवा ॥ दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी । कामना को पूर्ण करो, जग
बलिहारी ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
--------------------------------------------------------------------------------
MAA DURGA
AARTI
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॐ जय अम्बे गौरी।
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको। उज्जवल से दोऊ नैना चन्द्रवदन नीको॥ ॐ जय अम्बे
गौरी। कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे। रक्त पुष्प गल माला कण्ठन पर साजे॥ ॐ जय
अम्बे गौरी। केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी। सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख
हारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर राजत
सम ज्योति॥ ॐ जय अम्बे गौरी। शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती। धूम्रविलोचन नैना
निशदिन मदमाती॥ ॐ जय अम्बे गौरी। चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ
मारे सुर भयहीन करे॥ ॐ जय अम्बे गौरी। ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी। आगम निगम
बखानी तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ। बाजत
ताल मृदंगा अरु डमरुँ॥ ॐ जय अम्बे गौरी। तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता। भक्तन
की दुःखहर्ता सुख सम्पत्ति कर्ता॥ ॐ जय अम्बे गौरी। भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा
धारी। मनवांच्छित फल पावे सेवत नर नारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। कंचन थाल विराजत अगर
कपुर बात्ती। श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥ ॐ जय अम्बे गौरी। या अम्बे
जी की आरती जो कोई नर गाये। कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पाये॥ जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॐ जय अम्बे गौरी।
--------------------------------------------------------------------------------
SHIVA AARTI
जय शिव ओंकारा,
हर जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा । दो
भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय
शिव ओंकारा । अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहे भोले शुभकारी ॥ ॐ
जय शिव ओंकारा । श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे । सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव ओंकारा । कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधरता । जगकर्ता जगभर्ता
जगपालनकर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर
के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा । पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा । काशी में विश्वनाथ
विराजत, नंदी ब्रह्मचारी । नित उठ भोग लगावत, महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ।
त्रिगुण शिवजी की आरति जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ जय
शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय
शिव ओंकारा
--------------------------------------------------------------------------------
ANNPURNA MATA AARTI
ओम जय अन्नपूर्णा माता, जय अन्नपूर्णा माता। ब्रह्मा सनातन देवी,
शुभ फल की दाता॥ अरिकुल पद्म विनाशिनि जन सेवक त्राता। जगजीवन जगदम्बा हरिहर
गुणगाता॥ सिंह को वाहन साजे कुण्डल हैं साथा। देव वृन्द जस गावत नृत्य करत ताथा॥
सतयुग रूपशील अति सुन्दर नाम सती कहलाता। हेमाचल घर जनमी सखियन सँगराता॥
शुंभनिशुंभ बिदारे हेमाचल स्थाता। सहस्त्र भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा॥
सृष्टिरूप तू ही है जननी शिव संग रंगराता। नदी भृंगी बीन लही हे मदमाता॥ देवन अरज
करत तव चित को लाता। गावत दे दे ताली मन मे रंगराता॥ श्री प्रताप आरती मैया की जो
कोई गाता। सदा सुखी नित रहता सुख संपत्ति पाता॥ ओम जय अन्नपूर्णा माता, जय
अन्नपूर्णा माता । ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता॥
---------------------------------------------------------------------------------
---------------------------------------------------------------------------------
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का.स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी,स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी,स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे,स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
AARTI SHRI GANGA JI KI
AARTI SHRI LAKSHMI MATA
AARTI SHRI GAYATRI JI KI
SHRI SARASWATI MATA AARTI
SHRI KRISHNA AARTI
SANTHOSHI MAA AARTI
SAI BABA AARTI
SHRI HANUMAN AARTI
SHRI SHANIDEV AARTI
SHRI GANESH AARTI
MAA DURGA AARTI
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको। उज्जवल से दोऊ नैना चन्द्रवदन नीको॥ ॐ जय अम्बे गौरी। कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे। रक्त पुष्प गल माला कण्ठन पर साजे॥ ॐ जय अम्बे गौरी। केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी। सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख हारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥ ॐ जय अम्बे गौरी। शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती। धूम्रविलोचन नैना निशदिन मदमाती॥ ॐ जय अम्बे गौरी। चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥ ॐ जय अम्बे गौरी। ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी। आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ। बाजत ताल मृदंगा अरु डमरुँ॥ ॐ जय अम्बे गौरी। तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःखहर्ता सुख सम्पत्ति कर्ता॥ ॐ जय अम्बे गौरी। भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी। मनवांच्छित फल पावे सेवत नर नारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी। कंचन थाल विराजत अगर कपुर बात्ती। श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥ ॐ जय अम्बे गौरी। या अम्बे जी की आरती जो कोई नर गाये। कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पाये॥ जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॐ जय अम्बे गौरी।
SHIVA AARTI
ANNPURNA MATA AARTI
No comments:
Post a Comment